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Saturday, February 9, 2019

गुणकारी फलों के रस



चुकंदर का रस- चुकंदर में पाया जाने वाला 'बीटीन' नामक खास तत्व ट्यूमर और कैंसर की प्रवृति को शरीर से नष्ट करता है ।खून की कमी होने पर इसका रस पीने से लाभ होता है।गुर्दे सम्बंधित बीमारियों व दिमाग की गर्मी में भी इसका रस काफी फायदेमंद होता है।

गाजर का रस- कैंसर रोगियों के लिए गाजर का जूस पीना बहुत फायदेमंद है। जिन नवजात शिशुओं की माताओं में दूध की कमी पायी जाती है उन्हें रोज एक गिलास गाजर का रस पीना चाहिए। गाजर का रस पीने से शरीर में खून की कमी नहीं रहती। गाजर का रस आँखों व दांतों के लिए भी फायदेमंद होता है। गाजर का रस पीने से दांतों की जड़े सशक्त बनती है, इसके रस में सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मेग्नीशियम तथा लौह आदि तत्व पाये जाते है। गाजर का रस एनिमिया, रक्ताल्पता, बवासीर, रक्त विषाक्तता आदि में लाभकारी सिद्ध हुआ है।

संतरे का रस- इसमें विटामिन ए, बी, सी तीनों पाये जाते हैं ,जिनमें सी की मात्रा अधिक होती है।इसका रस आँतड़ियों की शुद्धि करता है तथा कब्ज का नाश करता है।

मोसंबी का रस- इसमें साइट्रिक एसिड, विटामिन ए, बी, सी, आदि तत्व मौजूद होते है। यह बलवर्धक, रक्तवर्धक होता है चार्म लोगो के लिए मोसंबी का रस लाभकारी होता है। यह थकान, बेचैनी, उब आदि दूर करता है।

अनार का रस- अनार के रस में उच्च कोटि का सोडियम तथा पर्याप्त मात्रा में लोहा, टॉनिक एसिड मौजूद रहते है। ये तत्व रक्तवर्धक और शक्तिवर्धक होते है तथा अतिसार, दस्त, संग्रहणी, में बहुत लाभदायक है। आँतों के कृमियों के लिए अक्सीर उपाय है, इसे यकृत की शक्ति और आँतों की क्रियाशीलता बढ़ती है। पेचिश, संधिवात, उच्च रक्तचाप में इसका रस तुरंत असर करता है।

अनानास का रस- अनानास के रस में फॉस्फोरिक, एसिड, लोहा, मैग्नीशियम, सोडियम, क्लोराइड और पोटेशियम आदि तत्व पाये जाते हैं। इसमें विटामिन ए व सी भी पाए जाते हैं। इसके रस में आंतड़ियाँ से अम्लता को बाहर निकालने के गुण मौजूद है,यह अन्तः स्त्रावी ग्रंथियों को पुष्ट रखता है। इसका रस ब्रोन्काइटिस, कफ, दमा, अजीर्ण, उच्च रक्तचाप आदि से पीड़ितों के लिए गुणकारी है।

सेब का रस- सेब में विटामिन ए, बी1, बी2, बी3, पी, सी आदि तथा अन्य खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। सेब का रस पीने से पीलिया होने के बाद खराब हुआ लीवर भी ठीक हो जाता है। यह भूख बढ़ाता है तथा रोग निरोधक शक्ति बढ़ाता है। यह आँतड़ियों को मजबूत बनाता है। इसका रस हृदय रोगियों व उच्च रक्तचाप वाले रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है।

गन्ने का रस- गन्ने का रस पीलिया के रोगियों के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है।पेट संबंधी विभिन शिकायतें जैसे: कब्ज, गैस, अफरा, जलन, बदहजमी आदि होने पर गन्ने के रस में सेंधा नमक डालकर पीना चाहिए। कैल्शियम की प्रचुरता होने की वजह से गन्ने के रस के सेवन से दांत व हड्डियां मजबूत होते हैं। गन्ने के रस में प्रचुर मात्रा में लौह तत्व पाये जाते हैं, अतः जिसके शरीर में खून की कमी होती है, उसे रोज गन्ने के रस का सेवन करना चाहिए। लू लगने व कुकर खांसी(कुत्ता खांसी) होने पर गन्ने का रस का सेवन करना फायदेमंद होता है।मूत्राशय सम्बन्धी रोगों में भी गन्ने का रस बहुत लाभदायक होता है, लगातार हिचकी आने पर गन्ने के रस का सेवन करना चाहिए।

जामुन का रस- यकृत के रोगों में जामुन का रस बहुत फायदेमंद रहता है।आयुर्वेद में जामुन को पित्तहर, दाहनाशक, मूत्रल व ग्राही बताया गया है। जामुन को यकृत व तिल्ली के रोगों के लिए अमोघ औषधि माना गया है। जामुन का रस ह्रदय के लिए हितकर है। यह पाण्डुरोगो में लाभ करता है।जामुन का रस प्रमख,मधुमेह के इलाज के लिए उत्तम औषधि है। यह अपच, दस्त, पेचिस, पथरी, संग्रहणी, रक्तपित्त और रक्तदोष दूर करता है।

फालसा का रस- फालसा को बिना रस निकाले भी खा सकते हैं। पक्का हुआ फालसा, मधुर, शीतल, पुष्टिजनक, हृदय के लिए हितकारी, तृष्णा,पित्त, दाह, रक्तविकार, क्षय, ज्वर, वात, रक्तपित्त, उपदंश, शूल, श्वास, प्रमेह, मूढगर्भ आदि में लाभ करता है।

तरबूज का रस- गर्मियों की भीषण धूप में तरबूज का रस पीना सबसे अच्छा रहता है। यह शीतल, मूत्रक, बलकर, मधुर, पितर, पुष्टिकर होता है। इसका रस पीने से वजन कम होता है। इसका रस गठिया, मोटापा, उच्च रक्तचाप, गुर्दे की पथरी में रामबाण जैसा काम करता है।

नाशपाती का रस- इसमें अघुलनशील रेशे होते हैं; जिनमे पेक्टिन नामक रसायन होता है।यह रसायन हृदय के लिए अत्यंत उपयोगी है।पेक्टिन रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है। इसका रस पीने से पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। इसके सेवन से कब्ज नहीं होता और आंतें भी साफ़ रहती है।

लीची का रस- फलों की रानी के नाम से मशहूर लीची में भरपूर औषधीय गुण पाये जाते हैं।इसके रस के सेवन से दिल की कमजोरी, पायरिया, पाचन शक्ति में कमी में काफी लाभ होता है। निमोनिया, काली खांसी, क्षय रोग, रक्तपित्त में यह परम लाभदायक है।

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